जयपुरएक घंटा पहलेलेखक: डूंगरसिंह राजपुरोहित
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निकायों में भ्रष्टाचार चरम पर दिख रहा है।
राजस्थान में एक तरफ खुद सीएम अशोक गहलोत और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल 15 माह से कह रहे हैं कि जनता घरों से निकले और अपने आवास के 50 रुपए और 501 रुपए में पट्टे ले लो। वहीं प्रदेश के निकाय अफसर पट्टे के लिए 12-12 लाख रुपए मांग रहे हैं। गहलोत और शांति धारीवाल 2 साल से ज्यादा से 10 लाख पट्टों का टार्गेट देकर अफसरों को ज्यादा से ज्यादा पट्टा देने के लिए सख्ती कर चुके हैं। लेकिन निकायों में भ्रष्टाचार चरम पर दिख रहा है।
मंत्री धारीवाल ने 1 सप्ताह पहले भी कहा कि.. अपने हाथ से पट्टे जारी कर दो.. दुनिया याद करेगी। पुण्य कमा लो, लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि छोटे-छोटे शहरों में पट्टे के लिए 12 लाख रुपए तक मांगे जा रहे हैं। मांगने वाले भी वे अफसर हैं, जिनको पूरा निगम या नगर पालिका के आयुक्त या ईओ का जिम्मा दे रखा है। निकायों में खुलेआम रिश्वत मांगने की शिकायतें आए दिन एसीबी को पहुंच रही हैं। पकड़े तो रिश्वतखोर अफसर… कोई यह कहते सुने कि मंदिर में कोई प्रसाद चढ़ाने आए तो मना कैसे करें? कोई सवामणी प्रसाद के लिए रिश्वत की मांग करते दिखे।
सरकार का निर्णय कोर्ट में रद्द, सभापति को फिर कुर्सी सौंपी
ब्यावर नगर परिषद सभापति नरेश कन्नौजिया को 175 दिन पहले सरकार ने निलंबित कर दिया था। लेकिन 23 नवंबर को हाईकोर्ट ने निलंबन को रद्द कर दिया और सरकार को 160 दिन बाद फिर कुर्सी सौंपनी पड़ी।