- Hindi News
- National
- Third Such In History, Second Chance In 4 Years; 2 Judges Heard 32 Cases
नई दिल्ली29 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

जस्टिस हिमा कोहली (बाएं) और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी (दाएं)।
अमूमन सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की अलग बेंच नहीं बनती। लेकिन गुरुवार को सिर्फ महिला जजों की बेंच बनी। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच कोर्ट नंबर 11 में बैठी। बेंच ने 32 मामलों में सुनवाई की। इनमें 10 वैवाहिक विवाद के थे। 11 जमानत से जुड़ी ट्रांसफर याचिकाओं और अन्य 11 अलग-अलग विवादों से जुड़े थे।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आदिश चंद्र अग्रवाला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह तीसरा मौका था। पहली बार साल 2013 में जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की बेंच बनाई गई थी। दूसरा मौका साल 2018 में आया। तब जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच गठित की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में महिला जज
- सुप्रीम कोर्ट में 3 महिला जज हैं। जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी। जस्टिस नागरत्ना 2027 में पहली महिला सीजेआई बन सकती हैं।
- 1989 में जस्टिस एम. फातिमा बीवी के रूप में सुप्रीम कोर्ट को पहली महिला जज मिली थी।
- सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अब तक 10 महिलाएं जज रह चुकी हैं।
- सुप्रीम कोर्ट में एक दिन में अधिकतम 3 महिला वकीलों ने दलीलें पेश की हैं। ऐसा 33 बार हो चुका है।
इंसाफ की कुर्सी पर क्या महिला और क्या पुरुष… भेद न ही हो तो बेहतर

पहली बेंच का हिस्सा रहीं जस्टिस रंजना देसाई ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली संपूर्ण महिला पीठ की सदस्य होने के तौर पर मेरा नाम जुड़ा है। मेरे साथ दूसरी सदस्य जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा थीं। हालांकि मेरा निजी मत है कि ऐसा भेद न ही हो तो बेहतर। इंसाफ की कुर्सी पर क्या महिला और क्या पुरुष। महिलाएं भी तो उतनी ही बुरी या उतनी अच्छी हो सकती हैं, जितने बुरे या अच्छे पुरुष हो सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कुर्सी पर महिला थीं या पुरुष। न्यायाधीश चुने जाने का आधार या मानक पुरुष या महिला नहीं होता। चयन और नियुक्ति मेरिट के आधार पर ही होती है। (जस्टिस देसाई प्रेस कौंसिल की वर्तमान अध्यक्ष हैं। संयोग से वे इसकी भी पहली महिला अध्यक्ष हैं।)