अयोध्या2 घंटे पहले
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अवध विश्वविद्यालय में बालिका दिवस पर बेविनार का आयोजन।
डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के एक्टिविटी क्लब एवं महिला अध्ययन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर राष्ट्र-निर्माण में बालिकाओं व महिलाओं की भूमिका विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो प्रतिभा गोयल ने सर्वप्रथम राष्ट्रीय बालिका दिवस शुभकामनाएं दी।
प्रो प्रतिभा गोयल ने कहा कि योग्य माताएं समद्ध राष्ट्र का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि एक सबल सुशिक्षित बालिका बड़ी होकर माता जीजाबाई, सावित्रीबाई फूले, लक्ष्मीबाई, कल्पना चावला, किरनबेदी, बच्छेन्द्रीपाल, पीटी उषा जैसी वीरांगनाएं समाज का मार्गदर्शन करती है। मां विद्यावति के बारे में बताया कि जब पत्रकारों ने उनसे पूछा क्या आप बेटे भगत सिंह की शहादत पर रो रही है। तो मां ने कहा कि मै शहादत पर नहीं मैं अपने कोख पर रो रही हॅू। काश मैनें और कई भगत सिंह पैदा किए होते।
बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति करें जागरूक
वेबिनार में कुलपति प्रो0 गोयल ने गुरूनानकदेव के जननी के महत्व का बखान को रेखांकित किया। परन्तु यह बड़ी दुख की बात है कि हमारे समाज में पुराने समय में कई विसगंतिया, कुरीतियां आने लगी और बालिकाओं का तिरस्कार किया जाने लगा और इन्हें बालकों से भिन्न समक्षा जाने लगा। उनके शिक्षा के अवसर संकुचित कर दिए गए। कुलपति ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस के माध्यम से बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए। भेद-भाव मिटाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। वर्तमान में स्थितियां काफी बदल गई है।
शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के मुकाबले छात्राओं की संख्या बढ़ी
सरकार द्वारा कई ऐसी नीतियां चलाई जा रही है। जिनमें सेव गल्र्स चाइल्ड, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं, सुकन्या समृद्धि योजना, उड़ान स्कीम, फ्री सब्सिजाइज्ड एजूकेशन, लड़कियों के लिए आरक्षण सहित कई योजनाए है जिनके परिणाम स्वरूप समाज में कई परिवर्तन आये है। कुलपति ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के मुकाबले छात्राओं की संख्या बढ़ गई है। हर क्षेत्र में इनका अनुपात बढ़ा और समाज के हर क्षेत्र में कदम ताल मिलाकर चल रही है।
बेटियों के बिना घर आंगन सुना रहता
वेबिनार की मुख्य अतिथि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर की कुलपति प्रो0 निर्मला एस मौर्य ने अपने संबोधन की शुरुआत तितली सी मनोरम होती है बेटियां… कविता की पक्तियों से की। उन्होंने कहा कि बेटियों के बिना घर आंगन सुना रहता है। जिस समयकाल में नीरियों को सम्मान मिला वह कालखंड समृद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में कई युग पुरूष हुए जिन्होंने महिलाओं के आगे बढ़ने में मदद की। उन्होंने अपने संबोधन में विवेकानंद को उदृत करते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र की उन्नति का थर्मामीटर होता है नारियों की उन्नति से। कुलपति ने कहा कि आज की बेटियां स्वावलम्बी व सशक्त बन रही है। समाज में नएं मुकाम को हासिल कर रही है।
लड़कियों को आगे लाने के लिए अभिभावकों की भूमिका
वेबिनार में मुख्य वक्ता अन्तरराष्ट्रीय खिलाड़ी अर्चना गोविल ने कहा कि हर इंसान को आगे बढ़ने के लिए मेहनत करनी होती है। लड़कियों के अंदर एक अलग कार्य करने की ऊर्जा रहती है। उसे आगे बढ़ाने के लिए समाज को प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि खेलों में लड़कियांे को आगे लाने के लिए अभिभावकों की भूमिका बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि जब मैने पहली मैराथन जीती तो जो लोग आलोचना करते थे लड़की होने की वजह से वहीं लोग कहने लगे की बेटी हो तो ऐसी हो। उन्होंने कहा कि समाज में बहुत सी महिलाओं ने बड़े संघर्ष से समाज में एक मुकाम बनाया है। इन्हें आगे बढ़ने के लिए समय के महत्व को ध्यान रखना होगा। वेबिनार को स्कूल आॅफ मैनेजमेंट रिसीहुड की डाॅ0 कविता गुप्ता ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में महिला अध्ययन केन्द्र की समन्वयक प्रो0 तुहिना वर्मा ने अतिथियों का स्वागत वेबिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 स्नेहा पटेल व सघर्ष सिंह द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन एक्टिविटी क्लब के निदेशक डाॅ0 मुकेश वर्मा ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।